पहचानो कौन?

हमारे गर्भ में आते ही,
खिलाता, पिलाता, दुलारता है अनवरत,
जन्मते ही भर देता है माँ की छाती में अमृत,
अबोध शिशु की क्षत्र छाया बन साथ निभाता है कोई,
पहचानो कौन?

बरसात आते ही,
मार्ग पंकमय व कंटकाकीर्ण हो जाते हैं,
विषैले जीव भी बाहर निकल आते हैं,
तब हमारे नंगे पैरों को विषधरों से बचाता है कोई,
पहचानो कौन?

भादों की काली रात में,
घनघोर जंगल में भटके लकडहारे को,
जब हवाएं भी सांय सांय कर डराती हैं,
तब उसके कंधे पर हाथ रख साहस बंधाता है कोई,
पहचानो कौन?

झंझावात में फंसे नाविक की,
भुजाएं बेदम होने लगती हैं थककर जब,
पाल, पतवार और सहारे टूट जाते हैं सब,
तब उसके साहस को ललकार कर किनारे तक पहुंचाता है कोई,
पहचानो कौन?

असाध्य रोगों से ग्रसित रोगी को,
डॉक्टरों के दल निराश कर देते हैं जब,
वैद्य व विशारद भी हताश कर देते हैं तब,
रोगी को प्यार की झप्पी दे, चैन की नींद सुलाता है कोई,
पहचानो कौन?

वह सर्व शक्तिमान सच्चिदानंद प्रभु,
जो अणु से विभु तक, कण कण में व्याप्त है,
हमारा परम मित्र हर पल हमारे साथ है,
कभी कभी स्मरण के अवसर देकर हमसे कहता है वही,
पहचानो कौन?

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सृजन सैनिकों के लिए प्रेरक प्रसंग

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