विरासत


आज गाता हूँ फिर, में उसी गीत को |
गाया था जो पहले, स्वयं के लिए ||
क्योंकि सत्य ही शिव, सुन्दर व् शास्वत भी है,
इसीलिए दुहराता हूँ इसे अब सभी के लिए |
सौ बर्ष जीवन व्यर्थ परमार्थ बिन , जिसे जितना मिले, श्रेष्टता से जियो |
कर्म करते हुए सौ बर्ष तक जियो , धर्म धरते हुए सौ बर्ष तक जियो ||

पंचतत्वों से मिलकर ये काया बनी,
नश्वर है तो , मिटेगी कभी न कभी |
क्षण क्षण है जीवन , तो प्रतिक्षण है मृत्यु भी ,
कल की ना सोचो बस अभी को जिओ !
पाना अमरत्व है यदि संसार में, तो दूसरों के लिए भी जियो |
कर्म करते हुए सौ बर्ष तक जियो ,धर्म धरते हुए सौ बर्ष तक जियो ||

कथनी सरल है पर करनी कठिन ,
परमार्थ पथ मांगता बलिदान है !
तप, त्याग, संयम से जीवन सधे ,
बस राह उसकी बड़ी आसान है!
कष्ट सहकर भी बस भलाई करो , अब से नया ऐसा जीवन जियो |
कर्म करते हुए सौ बर्ष तक जियो ,धर्म धरते हुए सौ बर्ष तक जियो ||

बिचारो, उसने कैसा ये नियमन किया ,
जिसकी जितनी जरुरत उसको उतना ही पैदा किया |
है वायु , जल , अन्न , वस्त्र आवास जरुरी तो ,
उनको क्रमशः उतना सुलभ भी किया |
आवश्यकताएं पूरी करो कर्म से , विलासिता का जीवन कभी न जियो |
कर्म करते हुए सौ बर्ष तक जियो ,धर्म धरते हुए सौ बर्ष तक जियो ||

सुकरात, ईसा , मोहम्मद की कहानी सुनो ,
बुद्ध , महावीर , आचार्य शंकर की वाणी सुनो |
सिख गुरुओं व क्रांतिवीरों की क़ुरबानी सुनो ,
विवेकानंद , दयानंद , रामतीर्थ की जवानी सुनो ||
टेरेसा सा जीवन नहीं है सरल , फिर भी जितना हो सार्थक उसे ही जियो|
कर्म करते हुए सौ बर्ष तक जियो ,धर्म धरते हुए सौ बर्ष तक जियो |
|

कुर्वन्नेह कर्माणि जिजीविशेच्छ्त शरदः शतम|
जीवेत शरदः शतम, जीवेत शरदः शतम||


०६/ १२/२००८


2 comments:

Udan Tashtari July 4, 2010 at 6:20 PM  

बहुत ही उम्दा गीत..आनन्द आ गया.

Rameshwar Patel July 13, 2010 at 12:37 AM  

dhanyawaad..

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सृजन सैनिकों के लिए प्रेरक प्रसंग

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